मोहम्मद सुलेमान अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य के हस्ताक्षर से जारी एक आदेश से हुई सरकार की किरकिरी।
कांग्रेस के साथ ही सोशल मीडिया पर लोगों ने भी जमकर स्वास्थ्य विभाग को ट्रोल किया।
हिंदी में एक मात्रा के छूट जाने अथवा आगे – पीछे लगने मात्र से अर्थ एक अनर्थ हो जाता है। जैसे चिंता और चिता में सिर्फ एक बिंदी का फर्क है, जिससे पूरे शब्द का मतलब बदल जाता है। इसीलिए लिखते वक्त हमेशा गलती से बचना चाहिए। मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग द्वारा हुई एक ऐसी ही मानवीय भूल से पूरे विभाग को फजीहत का सामना करना पड़ा। एक छोटी सी गलती के कारण सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारे में बवाल मचा हुआ है।
भोपाल। प्रदेश में कोरोनावायरस के साथ कोविड-19 को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर बनाए गए मंत्रियों के समूह की सिफारिशों पर अमल होना शुरू हो गया है। मंत्री समूह की एक सिफारिश पर आज स्वास्थ्य विभाग का एक आदेश सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान के हस्ताक्षर से जारी एक आदेश में सबसे ज्यादा जोखिम वाले लोगों का पहले वैक्सीनेशन कराए जाने की बात कही गई।
स्वास्थ्य विभाग के जारी आदेश में सभी कलेक्टरों को यह आदेश जारी किया गया कि सबसे ज्यादा जोखिम वाले जिसमें राशन दुकान के विक्रेता, सिलेंडर सप्लाई करने वाले, पेट्रोल पंप स्टाफ, घर के काम करने वाली महिलाएं, किराना दुकान व्यापारी, सब्जी गल्ला मंडी के विक्रेता हाथ ठेला वाले दूध वाले वाहन, चालक, साइट मजदूर,स्टाफ, शिक्षक केमिस्ट बैंकर्स, सुरक्षा गार्ड के साथ ही मॉल होटल रेस्टोरेंट में काम करने वाले लोगों का प्राथमिकता से टीकाकरण हो। इसी आदेश में सेक्स वर्कर को भी जोड़ा गया था। मध्य प्रदेश में सेक्स वर्कर चिन्हित नहीं हैं, साथ ही साथ वैश्यावृत्ति भी प्रतिबंधित है। इस आदेश के बाद बवाल मच गया…
दूसरे आदेश की कॉपी में सेक्स वर्कर की जगह सैलून वर्कर लिखा।
विभाग ने कहा-टाइपिंग में हुई गलती।
दरअसल पहले जारी आदेश गफलत के कारण सैलून वर्कर की जगह “सेक्स वर्कर” शब्द के साथ जारी हो गया। हालांकि बाद में एक और आदेश सोशल मीडिया पर सामने आया। इस बार सेक्स वर्कर की जगह “सैलून वर्कर” को पहले वैक्सीन देने की प्राथमिकता वाला आदेश जारी कर दिया। लेकिन विभाग की तरफ से दूसरा आदेश जारी होने तक पहले आदेश को लेकर विभाग और व्यवस्था को लेकर चर्चा का बाजार गर्म हो गया।