लोक निर्माण विभाग (PWD) में जातिवाद हावी !
राजधानी hct (डेस्क)। शासन चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की। प्रत्येक पांच बरस में जनता; देश और प्रदेश के विकास के लिए अपना जनप्रतिनिधि को चुनकर विधानसभा और लोकसभा में भेजती है।
यह महज भ्रम है कि; जनता का, जनता के द्वारा जनता के लिए चुनी गई सरकार।
सरकार को जनप्रतिनिधि नहीं बल्कि जनता के गाढ़ी कमाई से पटाई जाने वाली टैक्स से पलने वाले रिश्वतखोर अधिकारी और भ्रष्ट कर्मचारी चलाते हैं। तमाम विभागों में से एक लोक निर्माण विभाग में इन दिनों अफसरशाही अपने चरम पर है। तिस पर तुर्रा यह कि जातिवाद भी हावी हो चुका है।
कहने का मतलब यह कि “अपना काम बनता तो भाड़ में जाए…..।”
‘‘पैसा ख़ुदा तो नही, लेकिन ख़ुदा की कसम; ख़ुदा से कम भी नहीं।’’
यह ‘उत्तम सूक्ति’ कुछ वर्षो पहले छत्तीसगढ़ में एक मंत्री ने रुपयों की कई गड्डियां घूस में लेते हुए उचारे थे। इस ‘सूक्ति वाक्य’ को एक खुफिया कैमरे ने कैद कर लिया था। उपरोक्त वाक्य इस समाज में मुद्रा के महत्व व उसके प्रभाव को बहुत खूबसूरती से बयां करती है। यह दिलचस्प है कि खुदा और मुद्रा दोनों का आविष्कार; समाज विज्ञान की एक खास मंजिल में स्वयं इंसान ने किया और खुद उसका गुलाम बन गया।
हालांकि उपरोक्त ‘सूक्ति वाक्य’ में मुद्रा को खुदा के बराबर का दर्जा दिया गया है, लेकिन मेरे हिसाब से मुद्रा का स्थान खुदा से भी ऊपर है। हम लोक निर्माण विभाग में पैठ इसी खुदा और मुद्रा के बल पर अपनी जड़ें जमाए कुछ ऐसे अधिकारीयों के कारनामो से आपको रूबरू करवाते हैं जो नेताओ – विधायकों को तो कुछ समझते ही नहीं और तो और नियम और कानून को भी ताक में रखकर अपनी मनमर्जी चला रहे हैं।
पद के मद में चूर अधिकारी, नियम-कानून को दिखा रहे हैं ठेंगा।
अगली कड़ी “अनुविभागीय अधिकारी यू०के० मेश्राम, कर रहा कांकेर में विश्राम…!” पढ़ने लिए बने रहिए www.highwaycrimetime.in
क्रमशः…
