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Chhattisgarh

कर्ज के तले दबे किसान ने की आत्महत्या करने की कोशिश !

विनोद नेताम
(संवाददाता)

गुरूर (बालोद) किसान हितैषी सरकार के राज मे लापरवाह अधिकारियों के कारण क्षेत्र के किसानो के चौपट हुए फसल का मुआवजा राशि समय पर भुगतान नहीं होने के कारण से किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है। इसके जिम्मेदार क्षेत्र के आला अधिकारी है।

प्रदेश सरकार के द्वारा धान के समर्थन मुल्य की बचत राशि किसानों के खाते में जमा कर दिया है जिसके चलते प्रदेश के किसानों की चेहरों पर मुस्कान साफ दिख रही है, वहीं कागज के किसानों को पैसा उनके खाते में दिया जाने की बात को लेकर राजनीति जारी है। प्रदेश में हजारों किसान ऐसे हैं जो किसानों की जमीन अधिया बांटा में लेकर किसानों के खेतो में पसीना से सिंचकर फसल उगाते हैं जिन्हें सबसे ज्यादा मदद की आवश्यकता होती है। लेकिन हमारे देश के व्यवस्था ने किसानों के लिए जो नीति बनाई है उसमे मेहनतकश गरीब किसान जो अधिया-बांटा में किसानी करते हैं; उनकी ओर देखने की हिम्मत अब तक सत्ता में बैठने वालों ने नहीं की है जिसके चलते प्रदेश में लगातार किसानी से लोग भागकर अन्य धंधों में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

कर्ज के तले दबे किसान ने की आत्महत्या करने की कोशिश ग्राम भानपुरी निवासी गीता साहू पिता स्वर्गीय जयतुराम साहू उम्र 48 वर्ष जो लगभग 6 एकड़ खेत मे किसी से कट्टू लेकर धान की खेती कर रहा था, जो दो बार ओलावृष्टि के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गया; जिसके चलते किसान अपने कर्ज से परेशान हो करके किट नाशक का सेवन कर लिया। उनका कर्ज लगभग दो लाख से ऊपर है। आखिर किसान कब तक इस तरह के कदम उठाते रहेंगे। आज किसान इस तरह से परेशान है जिसके चलते आत्महत्या करने पर मजबूर है।

प्रदेश में भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद जिला के गुरूर विकासखंड में किसान आत्महत्या करने की मामला पहले भी सामने आ चुका है; लेकिन सत्ता पर काबिज लोगों ने जब सत्ता नहीं थे उस वक्त घर-घर घुमें लेकिन सत्ता हाथ में आने के बाद से आत्महत्या कर प्राण गंवाने वाले लोगों के परिवार भी अब पुछने लगे हैं की गिरगिट दिन में कितने रंग बदलते हैं। खराब मौसम से बेहाल फसलों से आहत किसानों को संजारी बालोद विधायक संगीता सिन्हा ने कुछ दिन पहले अपिल करते हुए किसानों से गुरूर तहसीलदार के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर खराब फसलों की जानकारी शासन प्रसाशन के समक्ष बात रखने के लिए कहीं थी। कोरोना वायरस और मंडियो में किसानों को धान की उचित दाम नहीं मिलने के कारण किसानों की हालत वैसे भी पतली हो गई है ऊपर से मौसम ने किसानों की मेहनत और पसीने पर पानी और ओले बरसा कर सब कुछ बर्बाद कर दिया है। जिसके चलते छत्तीसगढ़ महतारी जिसे धान के कटोरा भी लोग कहते हैं वंहा के किसानों की इस तरह से हालत देखी नहीं जाती है ।

एक तरफ सरकार किसानों की हितैषी बताकर वाह वाही बटोर रही है वहीं गरीब किसानों के खेतो का बीमा किये जाने के बाद भी उन्हे समय पर मुआवजा उपलब्ध न कराना और दुसरी तरफ बेमौसम बरसात व ओला वृष्टि के चलते क्षेत्र के किसानों का फसल चौपट हो जाना। जिसके कारण गुरूर ब्लाक के ग्राम भनपुरी का एक किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो गया हैै। एक ऐसा किसान जो बचपन से खेती करते आ रहा है। उसका हमेशा से यही विश्वास रहा कि खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण किया जाता रहा है।

आज व अपने कर्ज से दबे होने के कारण अपनी जमीन को बेचकर असहाय हो चुका है। खेती से लगाव होने के कारण अब उनके सामने हालात यह हो चुकी है कि दुसरे खेत को रेगहा अर्थात अधिया में लेकर किसानी कार्य कर रहा है। उसने खेत पर खूब मेहनत किया और फसल भी लगभग पक कर तैयार हो चुका था जैसे की फसल पककर कटाई करने की नौबत आई। वैसे ही बेमौसम बरसात व ओलावृष्टि हो जाने के कारण पुरा फसल चौपट हो गया है ।

फसल तैयार करने में पुंजी लगी थी उसे कर्ज लेकर तैयार किया गया था कि फलस पकने के बाद उसे जो आमदनी होगी उसे कर्ज चुका कर अपने परिवार का भरण पोषण किया जा सके। लेकिन लगातार दो बार फसल चौपट हो जाने से किसान क्षुब्ध हो गया। जिससे उसकी मानसिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी कि वे क्या करने जा रहा इसकी समझ ही नही रही। इसी सोच में वह कर्ज के बोझ व मानसिक तनाव से छुटकारा पाने उसने खेतों मे छिड़काव किये जाने वाले कीटनाशक दवाई का सेवन कर आत्म हत्या करने का अचूक प्रयास किया गया। किन्तु आसपास के ग्रामीणों की मदद से उनके इस प्रयास को असफल कर गुरूर अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां ग्रामीणों व चिकित्सक की सुझ बुझ से किसान जीवित बच गया।

किसान के दो बार हुए चौपट फसल की अनावरी रिपोर्ट पटवारी द्वारा तैयार कर संबंधित विभाग के आला अधिकारी को सौपी जा चुकी है। लेकिन इस क्षेत्र के किसी भी किसानों का मुआवजा अब तक नही मिलने से किसान क्षुब्ध हो कर अपने प्राण त्याग में मजबूर हो चुके है।

पूर्व विधायक प्रीतम साहू ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा किसानों के मुआवाजा राशि के भुगतान के संबंध में जिला कलेक्टर से लिखित शिकायत दर्ज कर मांग की जा चुकी है। इस पर जिम्मेदार अधिकारी गंभीर नहीं होने के कारण कर्ज के बोझ तले दबे गरीब किसान मानसिक संतुलन खोते हुए आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे है। किसानों के माँगो को लेकर वर्तमान कांग्रेस सरकार से ओलावृष्टि में हुए फसल बर्बाद तथा बोनस की राशि के लिये लगातार प्रयास किया जा रहा है पर सरकार इन मुद्दों पर चुपी साधी हुई है जो बहुत ही निराशाजनक है।

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