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अब तो बदनामी का शोहरत से वो रिश्ता है, कि लोग नंगे हो जाते हैं अखबारो में रहने के लिए।
देश मेरा क्या बाज़ार बन कर रह गया है ?
कि हाथ में पकड़ता हूँ तिरंगा तो !
लोग पूछते हैं कितने का है ?
चलो
भाईयो, अगस्त का महीना भी आ गया। फिर से सोई पड़ी देशभक्ति को जगाने का मौसम आ गया है। मेरे एक दोस्त को शिकायत है ऐसी कैसी आज़ादी कि आजादी के जश्न के दिन दारु भी नही मिलेगी। मैंने उसे प्यार से समझाया; भाई मेरे आजादी की तैयारी भी 1 दिन पहले की गयी थी और तुम दारू की नही कर सकते। मित्र से छूटने के बाद हाथ मे मोबाईल आंखों में गागल और बुलट पर सवार किशोर युवाओ से भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, सुभाषचंद्र बोस के बारे में पूछ लिया तो वो बोले हॉ अंकल ये नाम कुछ सुने सुने से लगते है, आप थोड़ा रुको गुगल में सर्च करता हुँ फिर आपको बताता हूं।
अब आप बताओ साहब आज की पीढ़ी कहाँ जा रही ? वैसे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने 1947 में लालकिले से कहा था, आज से इस देश में कोई भूखा-नंगा नहीं रहेगा। कितनी आगे की सोच थी उनकी; सच में आज देश में कोई भी नंगा-भूखा नहीं है।
चलो साहब जाता हूं 26 जनवरी को आलमारी के किसी कोने में करीने से रखी देशभक्ति को खोज कर निकलना पड़ेगा। पड़ी होगी कहीं किसी कोने में 26 जनवरी को ही तो लाया था। अरे हाँ भाई; वही प्लास्टिक वाला झंडा, फिर रिन की सफेदी से चमकाए सफेद कुर्ते पायजामे, किसी पार्टी की निशानी गमछे को गले मे डाल तिरंगे के साथ सेल्फी खींचूँगा, व्हाट्स ऐप, फेसबुक पर लगाऊँगा और प्रोफाइल फोटो बना अच्छी-अच्छी, बड़ी-बड़ी बाते करूँगा। मैं भी देशभक्त हुँ साहब, भले ही मेरी देशभक्ति तारीखों पर जागती है। देशभक्त हूँ देश भक्ति तो दिखाऊंगा ही और 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस मनाऊँगा।
अंत में
अब तो बदनामी का शोहरत से वो रिश्ता है ,
कि लोग नंगे हो जाते हैं अखबारो में रहने के लिए ।
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