पंचायतों की तिजोरी खाली, विकास ठप ! सरपंचों ने सौंपा उपमुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
गुरुर जनपद की सभी पंचायतों ने 10 सूत्रीय मांगों के साथ प्रशासन को सौंपा ज्ञापन, भुगतान और योजनाओं की अव्यवस्था पर जताई तीखी नाराज़गी

गुरुर (बालोद) hct : जिस ग्राम पंचायत को लोकतंत्र की सबसे मजबूत और आधारभूत इकाई माना जाता है, आज वही पंचायतें आर्थिक तंगी, प्रशासनिक उपेक्षा और योजनागत ठहराव का सबसे बड़ा दंश झेल रही हैं। विकास की जिन योजनाओं को जमीन तक पहुँचाने की जिम्मेदारी इन्हीं पंचायतों पर है, वही पंचायतें आज खुद संसाधनों और सहयोग के अभाव में जूझ रही हैं। सरपंचों और पंचों का कहना है कि उन्हें न तो समय पर धन मिल रहा है और न ही नई योजनाओं की स्वीकृति, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में ठहराव की स्थिति बनती जा रही है।
‘डबल इंजन’ के दावों के बीच ठप पड़ा विकास कार्य
जब केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकारें होने के बावजूद ‘डबल इंजन’ विकास का दावा किया जा रहा है, तब छत्तीसगढ़ की ग्राम पंचायतों में विकास का पहिया थमा हुआ नजर आ रहा है। नए कार्यों की मंजूरी रुक गई है, जबकि पुराने कार्यों के भुगतान महीनों से लंबित पड़े हैं। इस स्थिति ने जनप्रतिनिधियों को असमंजस और आर्थिक संकट में धकेल दिया है, जहाँ वे बिना भुगतान के कार्य पूरे करने के लिए मजबूर हैं।
10 सूत्रीय मांगों के साथ प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
इन्हीं समस्याओं को लेकर बालोद जिले के गुरुर जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि एकजुट हुए और अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर उपमुख्यमंत्री के नाम गुरुर एसडीएम रामकुमार सोनकर को ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन केवल मांगों की सूची नहीं बल्कि ग्रामीण स्तर पर व्याप्त अव्यवस्था का जीवंत दस्तावेज़ बनकर सामने आया, जिसमें व्यवस्था की शिथिलता और योजनागत विफलता को स्पष्ट रूप से उजागर किया गया।
भुगतान प्रणाली बनी सबसे बड़ी बाधा
ज्ञापन में मुख्य रूप से यह मांग रखी गई कि किसी भी मद से स्वीकृत राशि का 100 प्रतिशत भुगतान कार्य आदेश जारी होते ही जनपद पंचायत में किया जाए, ताकि कार्य पूर्ण होने के बाद मूल्यांकन व सत्यापन के पश्चात शेष राशि समय पर कार्य एजेंसियों को मिल सके। वर्तमान में स्थिति यह है कि कार्य पूरा होने के बाद भी सरपंचों को 4 से 6 महीने तक कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता है, जिससे उन पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है।
अविश्वास प्रस्ताव की व्यवस्था पर पुनर्विचार की मांग
सरपंचों ने पंचों द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर भी सवाल उठाया। उन्होंने मांग की कि जब जनता अपने मताधिकार से सरपंच को चुनती है, तो उसे हटाने का अधिकार भी जनता के पास होना चाहिए, न कि केवल पंचों के पास। इसलिए मौजूदा अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया पर रोक या उसमें शिथिलता देने की मांग ज्ञापन में प्रमुखता से उठाई गई।
जल जीवन मिशन पर सवाल और जांच की मांग
जल जीवन मिशन के अंतर्गत हो रहे पानी टंकी निर्माण और पाइपलाइन विस्तार कार्यों की गुणवत्ता पर भी प्रश्नचिह्न लगाया गया। ज्ञापन में इन कार्यों में बरती जा रही अनियमितताओं की जांच कराए जाने तथा कार्यों को गुणवत्तायुक्त और समयबद्ध रूप से पूर्ण कराने की मांग की गई, ताकि ग्रामीणों को वास्तविक लाभ मिल सके।
15वें वित्त आयोग की राशि बनी ‘अविकास’ की जड़
ग्रामीण विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण 15वें वित्त आयोग की 2025–26 की राशि अब तक पंचायतों को आवंटित नहीं की गई है। आठ से नौ महीने बीत जाने के बावजूद जब यह राशि उपलब्ध नहीं हुई, तो पंचायतों में कोई भी नया विकास कार्य शुरू नहीं हो पाया। सरपंचों ने इस राशि का तत्काल आवंटन किए जाने की जोरदार मांग की।
सामाजिक ढांचे और संसाधनों की असमानता पर चिंता
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि विभिन्न निर्माण कार्यों की रुकी हुई दूसरी किस्त की राशि शीघ्र जारी की जाए। साथ ही यह सुझाव दिया गया कि प्रत्येक पंचायत में छोटे-छोटे सामाजिक भवन बनाने की बजाय बड़े और सर्वसुविधायुक्त सार्वजनिक भवनों का निर्माण किया जाए, जिससे अधिक लोगों को प्रत्यक्ष लाभ मिल सके। इसके अतिरिक्त खनिज न्यास निधि की राशि पूर्व की भांति गुरुर ब्लॉक की सभी पंचायतों को प्रदान करने की मांग भी रखी गई।
पेंशन और मानदेय को लेकर स्पष्ट असंतोष
सामाजिक सहायता योजना के अंतर्गत पेंशन के लिए बीपीएल सूची की बाध्यता समाप्त करने और 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी वृद्धजनों तथा 6 वर्ष से अधिक आयु के सभी दिव्यांगजनों को पेंशन का लाभ देने की मांग सामने आई। साथ ही सरपंचों के मानदेय में वृद्धि कर उसे ₹10,000 प्रति माह एवं पंचों को ₹1,000 प्रति माह किए जाने की मांग भी जोर-शोर से उठाई गई।
प्रतिनिधियों की एकजुट उपस्थिति बनी मजबूत संदेश
ज्ञापन सौंपने के दौरान गुरुर सरपंच संघ अध्यक्ष डाकेश साहू, उपाध्यक्ष हेमललता साहू, दिनेश्वरी सिन्हा, सचिव राजेन्द्र साहू, कोमल साहू, लता कामड़े, खोमन सिन्हा, प्रीत गुरू, गोकुल ठाकुर सहित गुरुर ब्लॉक के सभी सरपंच उपस्थित रहे। उनकी एकजुटता ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह आवाज किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण तंत्र की सामूहिक पीड़ा है।






