अनुपूरक बजट तक खरीदी-बिक्री पर रोक, विभागों से राशि वापस।
शासन ने 10 अक्टूबर तक मांगी पूरी सूची, दीपावली बाद ही खुलेगी रोक – वित्त मंत्री ने दिए कड़े निर्देश।

रायपुर hct : राज्य शासन ने वित्तीय अनुशासन की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सभी विभागों की खरीदी और भुगतान पर फिलहाल रोक लगा दी है। शासन ने आदेश दिया है कि अनुपूरक बजट और जीएसटी की नई गाइडलाइन लागू होने से पहले किसी भी तरह का वित्तीय लेन-देन नहीं होगा। साथ ही, विभागों को अब तक मिली खरीदी की राशि वापस शासन के खाते में जमा करनी होगी।
राशि वापस बुलाने का आदेश
निर्देश के अनुसार, सभी विभागाध्यक्षों और जिला कलेक्टरों को कार्यदेश के तहत मिली राशि और अब तक दिए गए ऑर्डरों का पूरा ब्यौरा वित्त विभाग को भेजना अनिवार्य है। यह रकम शासन के पास सुरक्षित रखी जाएगी और अनुपूरक बजट पारित होने तथा नई जीएसटी गाइडलाइन लागू होने के बाद ही संबंधित विभागों को लौटाई जाएगी।
दीपावली तक खरीदी पर रोक
शासन ने साफ संकेत दिए हैं कि दीपावली तक और संभवतः उसके बाद ही खरीदी-बिक्री व भुगतान की अनुमति मिलेगी। इसे इस रूप में भी देखा जा रहा है कि शासन के पास फिलहाल पर्याप्त धनराशि उपलब्ध नहीं है, इसलिए मजबूरीवश यह व्यवस्था लागू करनी पड़ी।
भुगतान और खरीदी पर ‘अनुमति’ की शर्त
नई गाइडलाइन में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी प्रकार के भुगतान या सामग्री खरीदी से पहले वित्त विभाग की अनुमति अनिवार्य होगी। यहां तक कि यदि किसी को सामग्री प्रदाय का आदेश भी जारी हुआ है, तो उस पर अमल तभी होगा जब वित्त विभाग से स्वीकृति मिल जाएगी। शासन का कहना है कि इस प्रक्रिया से जीएसटी और बिलिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
10 अक्टूबर तक डेडलाइन
शासन ने सभी विभागाध्यक्षों और कलेक्टरों को 10 अक्टूबर तक की समयसीमा दी है। उन्हें खरीदी ऑर्डरों और उससे जुड़ी राशि का ब्योरा वित्त विभाग को भेजना होगा। इसी आधार पर विभागीय प्रस्तावों पर आगे की कार्रवाई होगी। समयसीमा का पालन न करने पर भुगतान और ऑर्डर दोनों ही लंबित रह जाएंगे।
वित्त मंत्री की सख्त चेतावनी

वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस नियम का पालन सख्ती से किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि किसी स्तर पर त्रुटि या उल्लंघन पाया जाता है, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
संभावना: 25 अक्टूबर के बाद खुलेगी रोक
शासन के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, संभावना यही है कि 25 अक्टूबर के बाद खरीदी-बिक्री पर लगी रोक हट सके। यानी तब तक विभागीय अमले को धैर्य और अनुशासन दोनों का पालन करना होगा।
विभागीय स्तर पर हलचल
अचानक आए इस आदेश से विभागों में हलचल मच गई है। अधिकारी मानते हैं कि समय सीमा में रिकॉर्ड जुटाना चुनौती है। वहीं शासन का तर्क है कि यह कदम वित्तीय पारदर्शिता और अनियमितताओं पर रोक लगाने के लिए जरूरी है।
अनुशासन या अड़चन?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला आर्थिक अनुशासन की दिशा में अहम है। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या विभागीय मशीनरी दीपावली तक दबाव झेलकर पारदर्शी रिपोर्ट तैयार कर पाएगी? अब गेंद विभागों के पाले में है और शासन की निगाहें सख्ती से हर कदम पर टिकी हुई हैं।
