Welcome to CRIME TIME .... News That Value...

Politics

मिर्ची हवन का राजनीतिक प्रसाद, विष्णु ने किया सांई का सम्मान !

रायपुर के आलीशान होटल में "मिर्ची हवन" का आयोजन, मुख्यमंत्री साय ने मंच से बांटा सम्मान

रायपुर hct : राजधानी के एक पंचतारा होटल में वह नज़ारा देखने को मिला, जो किसी लोककथा से कम नहीं था—ग्यारह हज़ार किलो मिर्ची से उठते धुएँ के बीच मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मां मातंगी धाम के पीठाधीश्वर डॉ. प्रेमसाई महाराज को सम्मानित किया। जनता महँगाई से कराह रही हो, बेरोजगारी से तड़प रही हो, पर सत्ताधारियों को तो मिर्ची का धुआँ ही लोकतंत्र का असली इत्र लग रहा है। बता दें कि इस विशेष आयोजन में छत्तीसगढ़ की कई जानी-मानी हस्तियाँ मौजूद रहीं।

कुलदेवी की आड़ में चुनावी गणित

महाराज जी ने मंच से ऐलान किया कि मां मातंगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुलदेवी हैं। वाह…! तो अब लोकतंत्र की दिशा तय होगी “कुलदेवी कनेक्शन” से? जब गुजरात में मोदी जी मोड़ेश्वरी मातंगी मंदिर के दर्शन करते हैं, तो रायपुर में उसका राजनीतिक प्रसाद क्यों न बाँटा जाए? जनता को राशन न मिले, लेकिन कुलदेवी का कार्ड ज़रूर हर चुनाव में खेला जाएगा।

पर्चा दर्शन या सरकारी फर्जीवाड़ा?

महाराज ने बताया कि भक्तों की हर समस्या “पर्चा दर्शन” से हल होती है। अब सवाल है—क्या किसानों का कर्ज़ भी इस पर्चे से मिटेगा? बेरोजगार युवाओं को नौकरी का “पर्चा” यहीं से मिलेगा? या फिर सरकार का कामकाज अब मंत्रालयों में नहीं, बल्कि धाम के पर्चा काउंटर से चलेगा? अगर यही हाल रहा, तो सचिवालय बंद कर दीजिए और “छत्तीसगढ़ पर्चा बोर्ड” बना दीजिए।

जिहाद का डर, असल मुद्दों से भागने का बहाना

मंच से एक और मसालेदार तड़का लगाया गया—“लव जिहाद”, “लैंड जिहाद” और “तंत्र जिहाद” का शोर। बेरोजगारी, महँगाई, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे भूले जा चुके हैं, अब हर सभा में नया डर परोसा जाता है। भूत-प्रेत से मुक्ति दिलाने का दावा करने वाले महराज, दरअसल सत्ताधारियों को विपक्ष से मुक्ति दिलाने का एजेंडा चला रहे हैं।

लोकतंत्र का असली हवन

असलियत यह है कि इस पूरे “मिर्ची हवन” में आहुति जनता की उम्मीदों की डाली गई। मंच पर सजी महंगी कुर्सियों और मिर्ची के धुएँ ने साफ कर दिया कि सत्ता और साधु-संत का गठबंधन किसी धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का नया पकवान है।

अब जब-जब भाजपा नेता इस खबर को पढ़ेंगे, उनकी आँखें जलेंगी और नाक से पानी बहेगा—बिलकुल उसी तरह जैसे ग्यारह हज़ार किलो मिर्ची का धुआँ किसी को भी बेहाल कर देता है। फर्क सिर्फ इतना है कि मिर्ची के धुएँ से जलन कुछ देर रहती है, लेकिन राजनीति के इस व्यंग्यात्मक धुएँ से बेचैनी चुनाव तक पीछा नहीं छोड़ेगी।

whatsapp

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page