नो हेलमेट नो पेट्रोल अभियान: एसोसिएशन का फरमान और लोजपा का विरोध
नो हेलमेट – नो पेट्रोल का तुगलकी फरमान, जनता की जेब पर डाका और पेट्रोलियम डीलर्स की मनमानी

रायपुर की मीटिंग से निकला नया फरमान
राजधानी रायपुर में हुई बैठक में छत्तीसगढ़ पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने प्रस्ताव पारित कर 1 सितंबर से “नो हेलमेट – नो पेट्रोल” अभियान लागू करने की घोषणा कर दी। रायपुर कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में एसोसिएशन ने लिखा कि सड़क हादसों में सबसे ज़्यादा मौतें और गंभीर चोटें बिना हेलमेट वालों की वजह से होती हैं। अध्यक्ष अखिल धगट का तर्क है कि लोग जानबूझकर अपनी जान से खिलवाड़ करते हैं, इसलिए अब पंप संचालक सख्ती बरतेंगे और बिना हेलमेट किसी को पेट्रोल नहीं देंगे।
एसोसिएशन का दावा – सड़क हादसे कम होंगे
एसोसिएशन का कहना है कि अगर इस नियम का पालन पूरे प्रदेश में हो तो सड़क हादसों के आँकड़े घट सकते हैं। उनका दावा है कि यह कदम पूरी तरह सामाजिक हित में उठाया गया है और शासन-प्रशासन से इसमें सहयोग की अपेक्षा है। यानी, पेट्रोल पंप संचालक अब ट्रैफिक पुलिस की भूमिका निभाने की तैयारी में हैं।
लोजपा का पलटवार – तुगलकी फरमान
इस फैसले पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रदेश सचिव मोहम्मद अहसान अहमद क़ादरी ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि हेलमेट की अनिवार्यता का जिम्मा ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग का है, न कि पेट्रोल पंप वालों का। पेट्रोल चोरी और मिलावट से जनता की जेब रोज़ाना कटती है, मगर उस पर एसोसिएशन खामोश रहती है। क़ादरी ने इसे “जनविरोधी और असंवैधानिक” ठहराते हुए सवाल दागा कि आखिर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन को इतना पावर दिया किसने?
जनता बनाम पंप संचालक
पार्टी का आरोप है कि इस फरमान से पंपों पर आम जनता और संचालकों के बीच विवाद बढ़ेंगे। आए दिन हो रही चोरी और झगड़े की घटनाएँ पहले ही पंपों की सच्चाई उजागर करती हैं। अब ‘नो हेलमेट – नो पेट्रोल’ नियम के नाम पर जनता को और परेशान किया जाएगा।
आंदोलन की चेतावनी
लोजपा ने साफ कर दिया है कि यदि यह फरमान वापस नहीं लिया गया तो पार्टी कलेक्टर कार्यालय का घेराव करेगी और पूरे प्रदेश में “नो पेट्रोल – नो दलाल” अभियान चलाएगी। उनका कहना है कि जनता के असली हित में पेट्रोल चोरी रोकने और दलालों पर लगाम कसने की ज़रूरत है, न कि नए-नए तुगलकी आदेश थोपने की।
