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Chhattisgarh

महिला थाने में इंसाफ मांगने पहुंची पीड़िता हुई पुलिसिया शिकार !

रायपुर के महिला थाना में एक महिला फरियादी के साथ हुई कथित मारपीट

“जो थाने न्याय का दरवाज़ा होना चाहिए था, वो दर्द का दरवाज़ा बन गया। जहां वर्दी से उम्मीद थी, वहीं से बेल्ट चली। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक महिला पीड़िता को ना सिर्फ इंसाफ टाला गया, बल्कि आरोप है कि खुद पुलिस ने ही उसे पीट डाला। और ये सब उस थाने में हुआ, जिसका नाम ही है — ‘महिला थाना’।”

रायपुर hct : कभी थानों को न्याय का पहला पड़ाव माना जाता था, पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक महिला के लिए वही थाना डर और दहशत का केंद्र बन गया। एक पारिवारिक विवाद में एफआईआर दर्ज कराने पहुंची महिला के साथ जो कुछ भी हुआ, वह चौंकाने वाला ही नहीं, बल्कि सोचने पर मजबूर कर देने वाला है।

महिला थाना रायपुर की तत्कालीन थाना प्रभारी वेदवती दरियों, एएसआई शारदा वर्मा, और महिला कांस्टेबल फगेश्वरी कंवर के विरुद्ध अदालत के आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई है।” आरोपों के अनुसार, पीड़िता के साथ कथित मारपीट, गाली-गलौज और अभद्रता का मामला सामने आया है।

यहाँ इस बात पर गौर किया जाए कि राजधानी के तमाम थाना चौकियों में पहली तो एफआईआर लिखा ही नहीं जाता और मामला यदि संवेदनशील हो तो लिखने में हीला-हवाला करते हुए दर्ज कर लिया जाता है और अब तो कई ऐसे मामले है जिसमे अदालत को आदेश देना पड़ता है, तब कहीं जाकर एफआईआर दर्ज होती है; मगर उसे भी इतना कमजोर बनाया जाता है कि बड़ी आसानी से खात्मा ख़ारिज किया जा सके या फिर आरोपी को अदालत में खड़े होते ही आसानी से जमानत मिल जाए !

पहले शिकायत, फिर काउंसलिंग और फिर मारपीट !

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, यास्मीन बानो नाम की महिला ने अपने पति और ससुराल पक्ष से विवाद के बाद रायपुर महिला थाने में शिकायत दी थी। तीन बार काउंसलिंग हुई। बात नहीं बनी, तो उन्होंने विधिसम्मत मामला दर्ज कराने की मांग की, जो कथित रूप से अनसुनी रह गई।

इसके बाद जब उन्होंने उच्च अधिकारियों से संपर्क किया, तो उन्हें दोबारा थाने बुलाया गया। यहीं से स्थिति बिगड़ती चली गई।

थाने में मौजूद उनके पति द्वारा की गई कुछ कथित टिप्पणियों पर यास्मीन की मां ने आपत्ति जताई। इसी दौरान विवाद बढ़ा और पीड़िता पक्ष का आरोप है कि महिला थाना स्टाफ ने उनके साथ कथित मारपीट की — जिसमें टीआई, एएसआई और महिला कांस्टेबल के नाम सामने आए हैं।

अदालत की शरण फिर एफआईआर दर्ज

जब थाने से राहत नहीं मिली, तो यास्मीन ने अदालत का रुख किया। अदालत ने संज्ञान लेकर उक्त पुलिसकर्मियों और उनके पति के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया। यह पूरी प्रक्रिया न्यायिक आदेश पर आधारित है और अब मामले की जांच जारी है।

पुराने विवादों से भी रहा है संबंध

महिला थाना प्रभारी रही इस पुलिस अधिकारी वेदमती का नाम इससे पहले भी चर्चा में रह चुका है। हाल ही में ACB द्वारा उन्हें 20,000 रुपये की कथित रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने की खबर सार्वजनिक हुई थी। इस मामले में वे फिलहाल निलंबन की स्थिति में हैं, और जुलाई 2024 में उनका जमानत आवेदन विशेष न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था।

पुराना रिकॉर्ड “पांडुका कस्टडी डेथ मामले में निलंबित”

2019 में गरियाबंद जिले के पांडुका थाने में जब ये महोदया पदस्थ थीं, तब एक आरोपी की पुलिस कस्टडी में मौत हुई थी। इस प्रकरण में जांच और संदेह के चलते संबंधित अधिकारी समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था। घटनाक्रम बताता है कि जहां न्याय की उम्मीद लेकर लोग जाते हैं, वहां कभी-कभी उन्हें अतिरिक्त चोटें भी मिलती हैं।

कानून में हर आरोपी निर्दोष माना जाता है, जब तक अदालत दोषी सिद्ध न करे। यही वजह है कि इस मामले में भी जांच से पहले कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। पर सवाल यह जरूर है क्या महिला थाने जैसी संवेदनशील जगहों पर तैनाती से पहले चरित्र और इतिहास की पूरी छानबीन नहीं होनी चाहिए?

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