विष्णु के सुशासन में सांय सांय करता आबकारी का सुदर्शन…
कमजोर प्रशासनिक कसावट और कामचोर आबकारी निरीक्षकों की सरपरस्ती !
अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से चली आ रही शराब ठेकेदारी प्रथा को समाप्त कर भाजपा की डॉ. रमन सिंह सरकार ने ठेकेदारी प्रथा खत्म करते हुए शराब बेचने का निर्णय लिया था। तब सरकार का तर्क दिया था कि “कोचियाबंदी और गांव-गांव में अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए यह फैसला किया गया है।”
प्रदेश की जनता का मदिरा (शराब) के प्रति दीवानगी ने प्रशासनिक नक्सलियों का भेजा घुमा दिया था और “राजस्व” (इफरात कमाई) के लालच में लपलपाती जीभ से डॉ. रमन सिंह को लपेट लिया। लेकिन, जो काम डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में नहीं हुआ, उसे भूपेश बघेल की सरकार के इन्हीं “प्रशासनिक नक्सलवादियों” ने कर दिया।
रायपुर hct : छत्तीसगढ़ प्रदेश में जनता की नजर में सत्ताधीश पार्टी के दो ही विकल्प है, एक तो भाजपा और दूसरी कांग्रेस। अतः जब भाजपा से मोह भंग हो तो जनता कांग्रेस को मौका देती है सो 15 बरस से वनवास का दंश झेल रही कांग्रेस को प्रदेश की जनता ने पूर्ण बहुमत से सत्ता की चाबी सौंप दी। सत्ता सुंदरी के मोहपाश में चाहे किसी की भी सरकार हो, जनप्रतिनिधि यह अच्छे से जानते हैं कि जनता को कैसे भूल भुलैय्या में भटकाए रखना है। छत्तीसगढियावाद की लॉलीपॉप देकर भूपेश बघेल ने ऐसा ही किया ! खैर …,
सुशासन की आड़ में आबकारी का सुदर्शन
प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार है और सत्ता पर विष्णु देव “विराजमान”। सत्ताधीशों का अपना एक अलग ही नारा होता है, तो विष्णु देव के शासन को “विष्णु का सुशासन” कहा जा रहा है। स्वाभाविक है जिस देश में विष्णु को भगवान माना जाता है तो इन भगवानों का प्रिय पेय “सुरा के बगैर देवलोक की कल्पना निराधार।”
वर्तमान में आबकारी विभाग की कमान स्वयं माननीय मुख्यमंत्री के कंधे पर हैं और उनके ही नाक के नीचे “षड्यंत्र में शामिल” वो आबकारी अधिकारी भी, जिन्होंने राजधानी रायपुर में अपनी सेवा दी; उनमे से तत्कालिन जिला आबकारी अधिकारी विजय सेन शर्मा, मंजूश्री कसेर और वर्तमान में विकास गोस्वामी जैसे भ्रष्ट आबकारी अधिकारी पदस्थ हैं।
ओवर रेटिंग और छीनाझपटी का बोलबोला
विजय सेन शर्मा ने तो अति ही कर दिया रहा, उनके कार्यकाल में एक विवादित शख्स खुद को जिला आबकारी अधिकारी समझकर शराब दुकानों में कार्यरत सुपरवाइजरों / सेल्समेनों से अभद्र तरीके से व्यव्हार करने के चलते बदनाम रहा। मंजूश्री कसेर के समय तो मदिराप्रेमी इन्हीं सुपरवाइजरों / सेल्समेनों के द्वारा ओवर रेटिंग से त्रस्त थे और विकास गोस्वामी के आते ही भले ही कुछ समय तक ओवर रेटिंग पर लगाम लगाया गया, मगर रायपुर के चुनिंदा शराब दुकानों में कार्यरत सुपरवाइजरों / सेल्समेनों ने मदिराप्रेमियों को निराले ही अंदाज में लूटने का तरीका ईजाद कर लिया है।
दिनांक 01/08/24 से राज्य में बिकने वाली शराब के कीमत में एक बार फिर मूल्य वृद्धि की गयी है जिसकी जानकारी जनता की तो छोड़िए मीडिया तक को नहीं दी गई थी, जिसका फायदा शातिर सुपरवाइजरों और सेल्समेनों ने जमकर उठाया।
सर चढ़कर बोल रहा है “कोचियागिरी”
बता दें कि, ये विकास गोस्वामी महोदय ही हैं जिनके कार्यकाल में कोचियागिरी सर चढ़कर बोल रहा है। रायपुर के सभी विधानसभा क्षेत्र में सड्ढू से लेकर सारागांव तक मेन रोड के ज्यादातर ढाबों में व गाँवो में शराब अवैध बिक्री की लगातार शिकायतों के बावजूद कार्यवाही न होने के कारण शराब कोचियों का हौसले इतना बुलंद है कि वे अवैध कारोबार में संलिप्ता के साथ साथ अब गाँवो में गुंडा गर्दी, दादागिरी पर उतारू हो चुके हैं।
कमजोर प्रशासनिक कसावट और कामचोर आबकारी निरीक्षकों की सरपरस्ती
विकास गोस्वामी के कमजोर प्रशासनिक कसावट और इनके कामचोर आबकारी निरीक्षकों की सरपरस्ती में शराब के व्यापार से जुड़े कोचियागिरी में संलिप्त लोगों ने रायपुर से सटे ग्राम दोंदे कला में एक ग्रामीण को इस हद तक प्रताड़ित किये की वे आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो गया। मामले में लीपापोती को लेकर विधानसभा थाना के निरीक्षक मुकेश शर्मा को लाइन अटैच किया गया।
इसी कड़ी में मंदिर हसौद स्थित अंग्रेजी दुकान के सुपरवाइजर कुलदीप जायसवाल के द्वारा 130 रु, का गोवा 170 रु मे और जम्मू 170 रु का 180 रु, मे बेचता हुआ पाया गया वीडियो बनाये जाने पर इन्हीं सुपरवाइजरों और सेल्समेनों के द्वारा पोषित स्थानीय गुंडों के द्वारा स्थल में मौजूद पत्रकार को घेर कर दबंगाई से वीडियो डिलीट कराया गया। इस सम्बन्ध में सर्कल आबकारी अधिकारी डी.डी.पटेल के संज्ञान में लाए जाने पर उनका जवाब, लाजवाब रहा। महोदय का कहना था कि कहीं कोई ओवर रेटिंग नही चल रही है मै सुबह से ही अधीनस्थ सुपर्वाइजर कर चुका हूँ कि कोई गलती नही होनी चाहिए।