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जिसने बुरे वक्त में सहारा दिया उसे ही जमीन के लिए गोलियों से छलनी कर दिया

एक ऐसा ही मामला उटीला थाना क्षेत्र में हुआ था जहां एक व्यक्ति को अपने परिवार के उन लोगों की मदद करने की कीमत अपनी जान देकर चुकाना पड़ी जो रिश्ते में उनके भाई लगते थे और गरीबी से बेहाल थे। मदद करनेे के बदले में इस परिवार ने मददगार को ही गोली मार दी।

HIGHLIGHTS

  1. न्यायालय ने 10 साल के बाद सब को सुनाई उम्रकैद
  2. एक व्यक्ति को मिली मदद करने के बदले में गोली
  3. आरोपितों की नजर थी पीडि़त की प्रापर्टी पर

प्रतिनिधि। समाज में एक कहावत हमेशा से सुनने में आई है कि जहां विश्वास ज्यादा होता है सबसे बड़ा विश्वासघात भी वहीं होता है। सुनी सुनाई बातों पर तो यकीन करना इतना आसान नहीं होता है लेकिन जब ऐसी ही कोई घटना आंखों के सामने हो जाए तब न चाहते हुए भी विश्वास करना पड़ ही जाता है। एक ऐसा ही मामला उटीला थाना क्षेत्र में हुआ था जहां एक व्यक्ति को अपने परिवार के उन लोगों की मदद करने की कीमत अपनी जान देकर चुकाना पड़ी जो रिश्ते में उनके भाई लगते थे और गरीबी से बेहाल थे।

यह मामला हाकिम सिंह नामक एक व्यक्ति से जुडा हुआ है जिसे अपने भाइयों को शरण देने के बदले में अपनी जान देनी पड़ी। बीच सड़क पर उसे गोलियाें से छलनी कर दिया गया । दर्दनाक मौत के पीछे का कारण सिर्फ उसकी वह जमीन थी जिस पर उसके भाइयों की नजर थी । हत्या के इस मामले को बतौर अपना यादगार मुकदमा बताते हुए शासकीय अधिवक्ता जगदीश शाक्यवार ने यह बातें कहीं । उन्हाेंने इस मामले में न्यायालय की भूमिका को साझा करते हुए बताया कि न्यायालय ने सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

पूरा मामला कुछ ऐसे हुआ

  • उटीला थाना क्षेत्र में रहने वाले एक व्यक्ति के परिवार के कुछ लोगों जो बीते कुछ रोज से काम धंधा न होने की वजह से परेशान चल रहे थे । उन्हें हाकिम ने मदद का हाथ बढ़ाते हुए सहारा दिया ।
  • हाकिम के बच्चे छोटे छोटे थे । कुछ दिन तक तो सभी चीजे सही चलीं फिर अचानक से आरोपितों की नजर हाकिम की प्रोपर्टी पर जम गई , यानि उसकी उस 7 बीघा जमीन पर ।
  • उस जमीन को पाने के लिए आरोपितों ने कई पैंतरे चले । जब कुछ काम नहीं आया तो उन्हाेंने अपराध का सहारा लेने की ठान ली।
  • आए दिन उनमें विवाद होते थे तो आरोपितों ने जमीन मालिक को जान से मारने की ठान ली । 27 अक्टूबर 2014 को शाम 05:30 बजे अभियुक्तगण मोटरसाईकिल से कट्टा , फरसा , लाठी,और 315 बोर की बंदूक लेकर अन्य अभियुक्त मिलकर जमीन मालिक के घर के पास पहुंचे। वहीं उन्हें फरियादी मिल गया । जहां उनके बीच विवाद होने लगा। बीच रास्ते में गाली-गलौज करने लगे।
  • जब फरियादी ने गालियां देने से मना किया तो उनमें से एक ने जान से मारने की नीयत से हाकिम सिंह पर कट्टे से फायर कर दिया, गोली सीधे हाकिम सिंह के सीने में लगा।
  • फिर एक अन्य अपराधी ने जान से मारने की नीयत से 315 बोर की बंदूक से एक के बाद एक फायर किया, कोई गोली हाकिम सिंह के दाएं तरफ पेट में लगी तो कोई पसलियों में । एक ने कट्टा निकालकर पैरों में गोली मारी तो किसी ने आवेश में आकर आखों में में गोली दाग दी।
  • गोलियों से छलनी करने के बाद भी मन नहीं भरा तो लाठी और फरसा से न जाने कितने वार किए । इतने वार सहने के साथ ही हाकिम ने प्राण छोड़ दिए ।

परिवारी जनों को मिली धमकी, 10 साल में हुआ इंसाफ

इस मामले में शासन की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता जगदीश बताते हैं कि मृतक के परिवारी जनों पर इस मामले में गवाही न देने के लिए बड़ा दवाब बनाया गया। जब दवाब से काम नहीं चला तो धमकाया भी जाने लगा । मौत का डर भी दिखाया । लेकिन परिवार के सदस्यों ने हार नहीं मानी और निडरता से न्याययल में पेश होकर अपनी गवाही दी । इस पूरी ट्राइल में लगभग 10 साल बीत गए तब कही जाकर मामले में निर्णय आया और पीडित परिवार को इंसाफ मिला।

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